डीएमआरसी अपने उद्देश्य एवं संगठन संस्कृति से शक्ति ग्रहण करती है जैसा कि निम्न वर्णित है :
“डीएमआरसी एक ज्ञानोपार्जित संगठन है। हम अपने प्रत्येक कार्य में सुधार के लिए हर संभव प्रयास करेंगें” यह अकादमी अपने कर्मचारियों की क्षमता में चहूँमुखी विकास हेतु एक आदर्श स्थान है। क्षमता ज्ञान, कौशल व दृष्टिकोण पर निर्भर है। प्रशिक्षण कर्मचारियों को विशिष्ट कार्य करने हेतु ज्ञान व कौशल के विकास की प्रक्रिया है। प्रशिक्षण प्रक्रियाएँ कर्मचारियों के मनोभाव को परिष्कृत भी करती हैं जिससे कर्मचारियों के कार्य निष्पादन की गुणवत्ता में निखार आता है। प्रत्येक संगठन अपने नव-नियुक्त कर्मचारियों के वैयक्तिक ज्ञान को संगठन की आवश्यकतानुसार ढालता है। नव-नियुक्त कर्मचारियों को प्रशिक्षण के उपरान्त जिस कार्य पर लगाना होता है उस कार्य पर केन्द्रित प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रशिक्षण विधियाँ:
प्रशिक्षण विधियों में ज्ञान, कौशल एवं कार्य के प्रति सही दृष्टिकोण के विकास का संग्रहण निहित है। विद्या का संग्रहण पढ़ने, वीडियो/चलचित्र देखने, कार्य-क्षेत्र विशेषज्ञों/प्रशिक्षक आदि से विचार-विमर्श से किया जा सकता है जबकि कौशल संग्रहण केवल अभ्यास से प्राप्त किया जा सकता है। जिस प्रकार यदि कोई व्यक्ति कार चलाना सीखना चाहता है तो उसे कार चालन विद्या, पुस्तक पाठन, प्रशिक्षण कक्षा, स्टेयरिंग/क्लच/एक्सीलरेटर/ब्रेक इत्यादि से मिल सकता है परंतु उसे तब तक एक अच्छा कार-चालक नहीं कहा जा सकता जब तक कि वह स्वयं भीड़-भाड़ वाले रोड पर वाहन चालन का कौशल अभ्यास के माध्यम से संग्रहण नहीं कर लेता। मात्र विद्या एवं कौशल संग्रहण से एक चालक सर्वश्रेष्ठ या कार ड्राइविंग स्पर्धा हेतु सक्षम चालक नहीं बन जाता, इसके लिए कार ड्राइविंग स्पर्धा जैसे विशिष्ट कार्य हेतु एक व्यक्ति के लिए जिज्ञासु होने के साथ-साथ सही दृष्टिकोण आवश्यक होता है। विभिन्न कार्य क्षेत्रों की सक्षमता हेतु प्रशिक्षण मॉड्यूल की रूपरेखा को कर्मचारियों के कार्य-क्षेत्र की अपेक्षानुसार तैयार किया जा रहा है। ज्ञान, कौशल व दृष्टिकोण के विकास पर आधारित प्रशिक्षण हेतु, प्रशिक्षण-विधियाँ निम्न उल्लेखित हैं।
ज्ञान आधारित प्रशिक्षण
ज्ञान आधारित प्रशिक्षण के अनुसार, प्रशिक्षुओं को अनुभवी एवं ज्ञानपूर्ण प्रशिक्षकों के माध्यम से कक्षा-प्रशिक्षण दिया जाता है। अनुभवी संकाय सदस्यों को ही सैद्धांतिक व कार्य-अभ्यास आधारित प्रशिक्षण प्रक्रियाओं का उत्तरदायित्व सौंपा जाता है, जिसमें की ”कार्य-निर्वाहन से प्रवीणता” (लर्निंग टू परफ़ोर्म) की अवधारणा का महत्व निहित है।
कौशल आधारित प्रशिक्षण
कुछ विशेष कार्य जैसे कि ट्रेन परिचालन, अनुरक्षण आदि पुनरावृत्तीय प्रकार के प्रशिक्षण हेतु उच्च-कौशल की आवश्यकता होती हैं, जो कि प्रणाली के साथ वास्तविक या आभासी (वर्चुअल) अभ्यास से अर्जित किए जा सकते हैं। सिम्युलेशन तकनीकियाँ ऐसे क्षेत्रों में अत्यंत ही प्रभावकारी प्रशिक्षण साधन सिद्ध हुईं हैं जहाँ प्रशिक्षुओं को वास्तविक उपकरण/प्रणाली पर अभ्यासिक प्रशिक्षण की अनुमति निषेधात्मक रूप से बहुत ही महंगी या असुरक्षित हौं। ऐसी परिस्थिति में प्रशिक्षुओं को सिम्युलेटर प्रणाली के माध्यम से सुरक्षित वास्तविक आभासी परिवेश में प्रशिक्षित किया जा सकता है। इससे प्रशिक्षण के समय त्रुटियों की गुंजाइश रोकने के साथ कौशल सुधार किया जा सकता है जिसमें कि अन्यथा, विशेषकर सुरक्षा के आधार से नाजुक प्रणाली पर प्रशिक्षण अहितकर हो सकता था। डीएमआरए में अधिकांश परिचालन प्रणालियों के सिम्युलेटर, प्रदर्शन व मॉडल कक्ष हैं जिसके द्वारा प्रशिक्षुओं को वास्तविक उपकरण/प्रणाली को शामिल किए बिना,कार्य पर आभासी प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
दृष्टिकोण आधारित प्रशिक्षण
संगठन की संकल्पना को साकार करने हेतु, प्रत्येक संगठन अपने उद्देश्यों को मान्यता देता है और उद्देश्य-प्राप्ति हेतु, अपेक्षित कौशल व कार्य-स्थलीय आचार नीति में विकास के लिए श्रेष्ठतम प्रयास करता है। यह तभी संभव है जब वैयक्तिक दृष्टिकोण सकारात्मक हो जिससे कि संगठन के प्रति व्यक्ति की सोच, व्यवहारिक एवं उच्च-प्रेरणादायक हो सके। डीएमआरए में कर्मचारियों के दृष्टिकोण में सकारात्मकता लाने के लिए आंतरिक व बाह्य संसाधनों की सहायता से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।